कोरोना से मौत का गजब खेल, किसी राज्‍य में एक प्रतिशत से कम तो किसी में 9 प्रतिशत मौतें

कोरोना से मौत का गजब खेल, किसी राज्‍य में एक प्रतिशत से कम तो किसी में 9 प्रतिशत मौतें

सुमन कुमार

देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 3722 नए मरीज सामने आए हैं मगर पूरे देश में कोरोना की वजह से हो रही मौतों में एक विचित्र सा विरोधाभास दिख रहा है। किसी राज्‍य में कोरोना के कुल मरीजों के मुकाबले मृतकों का आंकड़ा बहुत ही कम है तो किसी राज्‍य में ये अस्‍वाभाविक रूप से बहुत अधिक है। भारत जैसे देश में जहां अधिकांश राज्‍यों में स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं कमोबेस एक जैसी हैं वहां ये विरोधाभास चौंकाने वाला है और निश्चित रूप से विशेषज्ञों को इस बारे में शोध करने की जरूरत है।

सबसे पहले हम देश में मौत से जुड़े आंकड़ों पर एक नजर मारते हैं। देश में कोरोना की वजह से अब‍ तक 2549 मौतों का आंकड़ा केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर डाला है। देश में कोरोना के कुल कन्फर्म मामले 78003 बताए जा रहे हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो देश में प्रत्‍येक 100 कोरोना मरीजों में से 3.26 मरीजों की मौत हो रही है। हालांकि जब हम इसके राज्‍यवार आंकड़े का विश्‍लेषण करते हैं तो अजीब सी असमानता दिखाई देती है। जहां तमिलनाडु और दिल्‍ली जैसे राज्‍यों में प्रति 100 मरीज मौत का आंकड़ा बेहद कम है वहीं बंगाल, गुजरात, मध्‍य प्रदेश जैसे राज्‍यों में ये प्रतिशत राष्‍ट्रीय प्रतिशत से बहुत अधिक है।

उदाहरण के लिए महाराष्‍ट्र में अब प्रति 100 में से 3.8 मरीजों की कोरोना की वजह से मौत हुई है जबकि बंगाल में यही आंकड़ा 100 में 9 का है जो कि पूरे देश में सबसे अधिक है। दूसरी ओर तमिलनाडु में हर 100 मरीज में सिर्फ 0.7 मरीज की मौत हो रही है। बंगाल के बाद इस मामले में देश में दूसरा स्‍थान गुजरात का है जहां कुल कोरोना रोगियों के 6.1 फीसदी की अबतक मौत हुई है। मध्‍य प्रदेश में यही आंकड़ा 5.6 फीसदी का है।

उत्‍तर प्रदेश जैसे स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में पिछड़े कहे जाने वाले राज्‍य में आश्‍चर्यजनक रूप से मौत का प्रतिशत राष्‍ट्रीय प्रतिशत से भी बेहद कम सिर्फ 2.2 है। दिल्‍ली जहां पूरे देश में शायद सबसे बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा है वहां कोरोना से मौत का प्रतिशत 1.3 फीसदी है। हालांकि दिल्‍ली की केजरीवाल सरकार पर आरोप है कि वो मौत के आंकड़ों को छिपा रही है। यहां ये ध्‍यान रखा जाना चाहिए कि पहले यही आरोप पश्चिम बंगाल पर भी लगे थे और उसके बाद से वहां मौत के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं। यही हाल दिल्‍ली का भी है, यहां भी तीन दिन पहले तक मौत के आंकड़े 60 से 70 के बीच थे मगर जब विशेषज्ञों की ओर से राज्‍य सरकार पर आंकड़े छिपाने के आरोप लगे तक अचानक से यहां भी मृतकों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है और दो दिन में ये 106 पर पहुंच गया है।

अन्‍य राज्‍यों की बात करें तो राजस्‍थान में मौत का आंकड़ा 2.8 फीसदी पर है जबकि केरल में ये तमिलनाडु की तरह 0.7 फीसदी है। बिहार में भी ये 0.7 फीसदी पर ही है। इसी प्रकार आंध्र प्रदेश में 2.1 प्रतिशत और तेलंगाना में ये 2.5 प्रतिशत मौतें सामने आई हैं। कर्नाटक में 3.4 प्रतिशत मौतों का रिकार्ड सामने आया है।  

अलग-अलग राज्‍यों में मौतों का ये अलग-अलग प्रतिशत कुछ सवाल खड़े करता है। सबसे पहला सवाल तो यही है कि क्‍या सभी राज्‍य अपने सही डेटा देश के सामने रख रहे हैं? दूसरा सवाल, क्‍या अलग-अलग राज्‍यों में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में बहुत अधिक अंतर है, यानी कुछ राज्‍यों में बहुत अच्‍छी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं हैं और कुछ में बहुत खराब? तीसरा सवाल, क्‍या कोरोना से मौत में राज्‍य की जलवायु का कोई असर होता है क्‍योंकि बंगाल, गुजरात, मध्‍य प्रदेश और महाराष्‍ट्र की जलवायु एक जैसी नहीं है। इसी प्रकार बिहार, तमिलनाडु और केरल की जलवायु में भी अंतर है। इसके बावजूद केरल, तमिलनाडु और बिहार में मौत का प्रतिशत बराबर है।

इन सभी सवालों तथा इसके अलावा भी कई सारे पहलू ऐसे हैं जिनपर शायद विशेषज्ञों को काम करने की जरूरत है और उम्‍मीद है कि आने वाले वक्‍त में इनमें से जुड़े जवाब भी सामने आएंगे।

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